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Wednesday, November 24, 2010

~ इतनी बड़ी धरती हमारी ~



इतनी बड़ी धरती हमारी
और छोटे से हम

मानव, मींन. पशु, और पतिंगे
लाखो जीवों का यह घर;
धरती पर, धरती के नीचे,
कुछ रहते धरती की उपर,
सब मे जीवन, सब है बराबर,
नही है कोई कम,

इतनी बड़ी धरती हुमारी
और छोटे से हम.


रंग-बिरंगे, पर, पकांगे,
माघ, गगन पंछी मंडराते;
दाने दो ही चुगते लकिन मीठे,
लंबे गीत सुनते;
डगमग चलते,
नाचा करते
खुश रहते हेर दम,

इतनी बड़ी धरती हुमारी
और छोटे से हम.

कई, घास, पौधे नन्हे,
जीवन रक्षक वृक्ष हुमारे;

रोटी. दल, सब्ज़ी,
फल
आनोंदो के श्रोत हुमारे;
जब तक भूमि हरी रहेगी स्वस्थ रहेंगे हम,


इतने बरी धरती हुमारी
और छोटे से हम.

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