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इतनी बड़ी धरती हमारी
और छोटे से हम
लाखो जीवों का यह घर;
धरती पर, धरती के नीचे,
कुछ रहते धरती की उपर,
सब मे जीवन, सब है बराबर,
नही है कोई कम,
इतनी बड़ी धरती हुमारी
और छोटे से हम.
रंग-बिरंगे, पर, पकांगे,
माघ, गगन पंछी मंडराते;
दाने दो ही चुगते लकिन मीठे,
लंबे गीत सुनते; डगमग चलते,
नाचा करते खुश रहते हेर दम,
इतनी बड़ी धरती हुमारी
और छोटे से हम.
कई, घास, पौधे नन्हे,
जीवन रक्षक वृक्ष हुमारे;
रोटी. दल, सब्ज़ी,
फल आनोंदो के श्रोत हुमारे;
जब तक भूमि हरी रहेगी स्वस्थ रहेंगे हम,
इतने बरी धरती हुमारी
और छोटे से हम.
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